पिछ्ले दिनों मेरे परिवार के सामने कुछ पक्षियों की मौतें बिजली विभाग की लापरवाही से हो रही थी…यह घटना उस घर से देखी जा रही थी- जहाँ छत पर रोजाना कई सुंदर पक्षी अपने दाना-पानी के लिये आते हैं. इस ”रामजी के खेत से रामजी की चिड़िया” की दुर्दशा आखिर हमसे देखी नहीं गई.
घर की सबसे छोटी बेटी (३ वर्ष) नव्या ने भी एक मृत तोते को देखकर एक सरल-भोला सा सवाल किया- “बड़े पापा, क्या ये जिन्दा हो जाएगा?” उसका जवाब मेरा मौन तो कतई नहीं दे पाया.
घर के छोटे बच्चों का हम पर पूरा विश्वास होता है कि हम उनकी हर इच्छा पूरी कर सकते है. काश, मै उन निर्दोष सुन्दर चिड़ियाऒं में जान डाल पाता.
तभी मुझे आभास हुआ कि कुछ तो करना ही होगा. ‘पत्रिका’ ने साथ दिया. विद्युत विभाग को जगाने के लिये पत्रिका के ही विपुल रेगे ने तमाम प्रयास किये. विद्युत विभाग ने पाँच-छ्ह दिन बाद उस सिर्फ एक समस्या का तो हल कर दिया है. अनगिनत समस्याएँ आज भी बची हुई हैं…आप भी हल कर सकते है… नहीं तो राम की चिड़िया तो वे हैं ही…
संलग्न है… पूरे घटनाक्रम के ‘पत्रिका’ इंदौर में प्रकाशित कुछ चित्र, जो यह सिध्द करते है कि मीडिया कितनी रचनात्मक भूमिका निभा सकता है….
(समाचार पत्रिका से Sanjay Rameshwar Panchal)
इस लिंक (संजय बेंगाणीजी के गुजरात के प्रसिद्ध ब्लागर) पर भी यह खबर पढ सकते है :
http://www.tarakash.com/joglikhi/?p=1481
घर की सबसे छोटी बेटी (३ वर्ष) नव्या ने भी एक मृत तोते को देखकर एक सरल-भोला सा सवाल किया- “बड़े पापा, क्या ये जिन्दा हो जाएगा?” उसका जवाब मेरा मौन तो कतई नहीं दे पाया.
घर के छोटे बच्चों का हम पर पूरा विश्वास होता है कि हम उनकी हर इच्छा पूरी कर सकते है. काश, मै उन निर्दोष सुन्दर चिड़ियाऒं में जान डाल पाता.
तभी मुझे आभास हुआ कि कुछ तो करना ही होगा. ‘पत्रिका’ ने साथ दिया. विद्युत विभाग को जगाने के लिये पत्रिका के ही विपुल रेगे ने तमाम प्रयास किये. विद्युत विभाग ने पाँच-छ्ह दिन बाद उस सिर्फ एक समस्या का तो हल कर दिया है. अनगिनत समस्याएँ आज भी बची हुई हैं…आप भी हल कर सकते है… नहीं तो राम की चिड़िया तो वे हैं ही…
संलग्न है… पूरे घटनाक्रम के ‘पत्रिका’ इंदौर में प्रकाशित कुछ चित्र, जो यह सिध्द करते है कि मीडिया कितनी रचनात्मक भूमिका निभा सकता है….
पिताजी मीडिया को पक्षियों की जान लेने वाले बिजली के खंभे की जानकारी देते हुए. |
इस लिंक (संजय बेंगाणीजी के गुजरात के प्रसिद्ध ब्लागर) पर भी यह खबर पढ सकते है :
http://www.tarakash.com/joglikhi/?p=1481
घुघूती बासूती
सबसे पहले आपको उन सभी मूक पक्षियों की ओर से बहुत-बहुत धन्यवाद. पुन: ‘पत्रिका’ की ओर से भी धन्यवाद कि आपने एक अच्छे अभियान को आगे बढ़ाने में मदद की.
शुक्रगुजार हैं हम आपके…