Monday, December 28, 2009

Tota-Myna ki Kahani...

पिछ्ले दिनों मेरे परिवार के सामने कुछ पक्षियों की मौतें बिजली विभाग की लापरवाही से हो रही थी…यह घटना उस घर से देखी जा रही थी- जहाँ छत पर रोजाना कई सुंदर पक्षी अपने दाना-पानी के लिये आते हैं. इस ”रामजी के खेत से रामजी की चिड़िया” की दुर्दशा आखिर हमसे देखी नहीं गई.

घर की सबसे छोटी बेटी (३ वर्ष) नव्या ने भी एक मृत तोते को देखकर एक सरल-भोला सा सवाल किया- “बड़े पापा, क्या ये जिन्दा हो जाएगा?” उसका जवाब मेरा मौन तो कतई नहीं दे पाया.

घर के छोटे बच्चों का हम पर पूरा विश्वास होता है कि हम उनकी हर इच्छा पूरी कर सकते है. काश, मै उन निर्दोष सुन्दर चिड़ियाऒं में जान डाल पाता.

तभी मुझे आभास हुआ कि कुछ तो करना ही होगा. ‘पत्रिका’ ने साथ दिया. विद्युत विभाग को जगाने के लिये पत्रिका के ही विपुल रेगे ने तमाम प्रयास किये. विद्युत विभाग ने पाँच-छ्ह दिन बाद उस सिर्फ एक समस्या का तो हल कर दिया है. अनगिनत समस्याएँ आज भी बची हुई हैं…आप भी हल कर सकते है… नहीं तो राम की चिड़िया तो वे हैं ही…

संलग्न है… पूरे घटनाक्रम के ‘पत्रिका’ इंदौर में प्रकाशित कुछ चित्र, जो यह सिध्द करते है कि मीडिया कितनी रचनात्मक भूमिका निभा सकता है….

पिताजी मीडिया को पक्षियों की जान लेने वाले बिजली के खंभे की जानकारी देते हुए.
(समाचार पत्रिका से Sanjay Rameshwar Panchal)

इस लिंक (संजय बेंगाणीजी के गुजरात के प्रसिद्ध ब्लागर) पर भी यह खबर पढ सकते है :
http://www.tarakash.com/joglikhi/?p=1481

14 प्रतिक्रियाएं to “रामजी के खेत से रामजी की चिड़िया”

  1. जी.के. अवधिया Says:
    चलिये एक अच्छा काम हुआ तो आखिर!
  2. P.C.Godiyal Says:
    राजस्थान पत्रिका का धन्यवाद कि उन्होंने चिड़ियाओं का दर्द समझा उसे अहमियत दी, वरना तो यहाँ इंसानों को लगने वाले बिजली के झटके भी पत्र पत्रिकाओं में स्थान ग्रहण नहीं कर पाते !
  3. ghughutibasuti Says:
    बहुत सही पहल की गई है। शायद कुछ हो जाए।
    घुघूती बासूती
  4. munendra.soni Says:
    :twisted: क्या बात है चिड़िया कौव्वा करने लगे भड़ास पर दुबारा अब कब दिखोगे?
  5. संजय बेंगाणी Says:
    @munendra.soni भाई जिसकी जैसी क्षमता होती अहि वैसी ही बातें करेगा ना. एक बार भडांस लायक जिगरा बना लूँ तो चिड़िया-कौआ करना छोड़ भड़ास पर दिखने लगूंगा. तब तक तो यहीं रमे रहेगें.
  6. संजय रामेश्वर पांचाल Says:
    संजयजी,
    सबसे पहले आपको उन सभी मूक पक्षियों की ओर से बहुत-बहुत धन्यवाद. पुन: ‘पत्रिका’ की ओर से भी धन्यवाद कि आपने एक अच्छे अभियान को आगे बढ़ाने में मदद की.
    शुक्रगुजार हैं हम आपके…
  7. ज्ञानदत्त पाण्डेय Says:
    क्षय चिड़िया! जय भड़ास! :-(
  8. cmpershad Says:
    रामजी की चिडि़या तो फुर्र्र्र्र्र्र हो गई :) पर अन्य समस्याओं का क्या होगा?
  9. समीर लाल ’उड़न तश्तरी’ वाले Says:
    चलिए इसी बहाना..एक राह मिली.. ;-)
  10. दिनेशराय द्विवेदी Says:
    कम से कम मीडिया इस का नोटिस ले कर हर अखबार इस तरह का प्रयास कर सकता है। पर लोगों को भी उस में भागीदारी करनी चाहिए।
  11. Rakesh Singh Says:
    चलिए मीडिया ने कुछ तो अच्छा काम किया है, वर्ना मीडिया का अच्छाई से रिश्ता ख़तम होता रहा है |
  12. सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी Says:
    सुखद रहा यह अध्याय भी। जानकारी देने का धन्यवाद।
  13. Krishna Kumar Mishra Says:
    भावविभोर कर देने वाली घटना पर आप बतायें आप ने इन परिन्दों के लिए क्या किया। क्या बिजली विभाग से कोई लड़ाई लड़ी?
  14. संजय रामेश्वर पांचाल Says:
    मिश्राजी, आपको जानकर खुशी होगी कि लापरवाह अधिकारी (असिस्टेंट इंजीनियर) पर सख्त विभागीय कार्रवाई की गई है.
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1 comment: